कोरोना महामारी के दौरान खेले गए चैंपियंस लीग फुटबॉल का चैंपियन सबको मिल गया है। चैंपियंस लीग फुटबॉल के फाइनल मैच में बायर्न म्युनिख ने पेरिस सेंट जर्मन पीएसजी को 1-0 से मात देकर 7 साल बाद और कुल मिलाकर छठी बार ट्राफी पर कब्जा किया।
किंग्सले कोमैंन ने दुनिया के सबसे महंगे फुटबॉलर नेमार और कलियान का पहली बार चैंपियन क्रिकेट ट्रॉफी जीतने का सपना तोड़ दिया । पेरिस में जन्मे और पीएसजी के पूर्व खिलाड़ी कोमैन के हैडर से किए गए गोल के दम पर बायर्न म्युनिख ने यह जीत दर्ज की ।
विश्व में महामारी के संकट के कारण पहली बार लीग का फाइनल बिना दर्शकों के खाली स्टेडियम में खेला गया । असली में बायर्न म्युनिख की यह लगातार 11वीं जीत हुई । बायर्न म्युनिख पहली ऐसी टीम है जिसने लीग के एक सत्र में सभी मैच जीतकर चैंपियन बनी । इससे पहले बायर्न म्युनिख 2013 मैं फाइनल में पहुंचा था और विजेता भी बना था। इस समय बायर्न म्युनिख खिताब जीतने के मामले में लिवरपूल के साथ संयुक्त तीसरे नंबर पर है उससे आगे रियल मेड्रिड(13) और एसी मिलान (07) है ।
इस जीत के साथ पोलैंड के 32 वर्षीय अनुभवी खिलाड़ी रॉबर्ट का चैंपियंस लीग कप उठाने का सपना भी पूरा हो गया। इससे पहले उनकी टीम चार बार सेमीफाइनल तक पहुंची थी।



उन्होंने कप और पोलैंड के झंडे के साथ ट्वीट किया – ” सपने देखना कभी बंद नहीं करें असफल होने पर भी कभी हार ना माने लक्ष्य को पाने के लिए हमेशा कड़ी मेहनत करते रहे ।”
वही हार के बाद पीएसजी के स्टार खिलाड़ी नेमार और मबापे अपने आंसू रोक नहीं पाए । मबापे के चेहरे पर मायूसी साफ दिख रही थी जबकि नेमार रो रहे थे और उन्होंने अपना मुंह ढक रखा था । इस टूर्नामेंट में पीएसजी की हार के बाद उनके प्रशंसक इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए और उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ हाथापाई करना शुरू कर दिया इसके अलावा उन्हें कारों और दुकानों की खिड़कियां तोड़ना शुरू कर दी । इसके बाद पुलिस ने इस मामले को लेकर 148 लोग गिरफ्तार किया यह भीड़ समर्थक क्लब के स्टेडियम के बाहर जमा हुए थे पुलिस को उन्हें काबू करने के लिए आंसू गैस भी छोड़ने पड़े।