कोरोना का कहर कम हो रहा है। इस महामारी से देश में स्वस्थ होने की दर लगभग 88 फीसद पहुंच चुकी है। कई राज्यों में स्वस्थ होने वालों की दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है। स्वस्थ होने वाले लोग सक्रिय केस से करीब 9-10 गुना हो चुके हैं। अगस्त के बाद पहली बार 6 अक्टूबर को एक दिन में सबसे कम 61,267 नए मामले सामने आए हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह संख्या और भी कम हो सकती है। ऐसा कहा जा सकता है कि कुछ हद तक कोविड-19 महामारी भारत में काबू होने की ओर है। इस बदली तस्वीर का सारा श्रेय सरकार और समाज को जाता है। सरकारों की सक्रियता और हम सबकी सजगता से महामारी की तस्वीर बदलने लगी है।



मगर… हमें गाफिल (असावधान) नहीं होना है। यही चेतना, सतर्कता और जागरूकता बनाए रखनी होगी। विश्व स्वास्थ संगठन कह चुका है कि दुनिया के लगभग हर दस में से एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो चुका है। अगर उस हिसाब से देखा जाए तो भारत की करीब 13 करोड़ आबादी इसकी चपेट में आ चुकी होगी। इसमें से ज्यादातर लोग एसिम्टोमैटिक (जिनमे लक्षण जाहिर नहीं होते हैं) होंगे। ये प्रसार के बड़े वाहक हो सकते हैं। पूरा देश अब लगभग खुल चुका है और 17 अक्टूबर से त्यौहारों का आगाज भी हो चुका हैं जिनका उल्लास लंबे समय तक कायम रहेगा। त्यौहारों के दौरान लोग ज्यादातर बाहर निकलते हैं, ज्यादा घुलते-मिलते हैं, खरीदारी करते हैं। करना हमें सब कुछ है, लेकिन सावधानी और सतर्कता के साथ। कई राज्य जैसे केरल और महाराष्ट्र सहित दक्षिण के अन्य राज्यों में हाल के त्यौहारो के बाद नए मामलों में एकदम से इजाफा दिखा है।
पश्चिमी देशो का अनुभव बताता है कि वहां चरम से मामले कम होने के बाद लोग बेफिक्र हो गए और उन देशों में अब यह महामारी फिर से पैर पसार रही है। हमें अब इस महामारी के किसी और दौर को आने ही नहीं देना है, हमेशा मास्क लगाकर ही बाहर निकलना है, शारीरिक दूरी बनाए रखनी है। विभिन्न कार्य-दायित्वो को पूरा करने में उन तमाम सरकारी दिशा-निर्देशो का पालन करना होगा। ऐसे ही हम इस महामारी के ताबूत में आखिरी कील ठोक सकते हैं। अब चूकना नहीं है। आसुरी ताकतों पर विजय के प्रतीक नवरात्र और विजयादशमी पर्वो पर इस विषाणु के खात्मे का संकल्प लेंकर हमें आगे की ओर काम करना है।
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