हिन्दी को हमारे देश में राजभाषा का दर्ज़ा मिला है परंतु उसको आधिकारिक काम में ज्यादा कोई अहमियत नहीं है आधिकारिक काम काजो में अंग्रेजी को ही महत्व दिया जाता है । आज के समय हिंदी भाषा सिर्फ नाम मात्रा के लिए श्रेष्ठ बन कर रह गयी है, इसका महत्व लोग भूलते जा रहे है ।
एक अच्छी संख्या है जो सभी हिंदी में ही वार्तालाप करते है ये एक बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन जहां प्रोफेशनल रवैये की बात आती है हम हिन्दी को भूल जाते है । हिंदी उन भाषाओ में से है जिसको समझना बाकी हर भाषा से सबसे सरल है। इसने हमे जीवन के आदर्श सिखाये है । और हकीकत ये है कि आज के समय कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से शुद्ध हिंदी में वार्तालाप नहीं करता। यह एक गंभीर विषय भी है जिसका समय रहते समाधान ढूँढना बहुत आवश्यक है ।



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भारत देश के विश्वप्रसिद्ध नेताओं ने हिंदी का महत्व बखूबी समझा और उसे बहुत सम्मान दिया है जैसे स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गाँधी इत्यादिओ ने इस को समझा है । अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बार संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिंदी में इतना प्रभावशाली भाषण दिया था जिसको विश्व में सभी सुनने वाले लोग स्तब्ध रह गए थे । और देखा गया है कि वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी के प्रचलन को बढ़ावा देते हैं, प्रधानमंत्री अपने भाषण हमेशा हिंदी में में देते है चाहे वो कोई भी राज्य या देश में जाए । हिंदी भाषा इतनी प्रभावशाली है की आज दूर देश से लोग हिंदी पढ़ने भारत आते हैं, लेकिन अपने देश में ही लोग इसे भूलते जा रहे हैं।
यह एक गेस्ट पोस्ट है जिसे लिखा है सुनील चौरसिया ने।